कांग्रेस के नेतृत्व में चल रही UPA की सरकार द्वारा, बड़े पैमाने किये जा रहे भ्रष्टाचार के कारण, हर नागरिक के मन में सरकार के प्रति जबरदस्त अाक्रोश भरा हुअा था । तभी अाया यह जनलोकपाल आंदोलन जिसका नेतृत्व अन्ना हजारे अौर उनकी टीम में शामिल अरविन्द केजरीवाल, किरन बेदी, प्रशाँत भूषण, इत्यादी कर रहे थे । इस अांदोलन ने भारत की जनता का ध्यान कुछ यूँ आकर्षित किया कि सैकड़ों भारतीय भ्रष्टाचार के खिलाफ एक विश्वसनीय अावाज खोजते, देश की सड़कों पर उतर अाये थे। देखते ही देखते यह अांदोलन भारतीय जनता की न िसर्फ एक भ्रष्ट बल्कि स्वयं के भ्रष्टाचार के प्रति उदासीन सरकार के खिलाफ चल रही लड़ाई का प्रतीक बन गया था। इस अांदोलन को मिल रहे जनता व विपक्ष के जबरदस्त समर्थन के कारण सरकार को हार कर अन्ना व साथियों को बातचीत के लिये बुलाना ही पड़ा । लेकिन जब एेसा लगने लगा कि धुंध के बादल अब छट जायेंगे तभी अचानक से सब िततर-बितर हो गया़़़़